
राजनीतिक गलियारों में इन दिनों रिटायरमेंट की उम्र सबसे गरम मुद्दा बना हुआ है — और इस आग में अब अखिलेश यादव ने भी चुटकी भर नमक डाल दिया है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को साफ किया कि उन्होंने कभी किसी को 75 साल में रिटायर होने की सलाह नहीं दी, लेकिन इस बयान के बाद अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए सीधे वार कर डाला।
अखिलेश का तंज: “ना खुद रिटायर होंगे, ना किसी को होने देंगे”
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर अखिलेश यादव ने लिखा:
“न तो ये लोग खुद रिटायर होंगे और न किसी को रिटायर होने देंगे। जब अपनी बारी आती है तो नियम बदल देना कौन-सी नीति है?”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो लोग अपनी कही बातों से पलट जाते हैं, वे अपना भी विश्वास खोते हैं।
बोल तो नाम लिए बिना गए, लेकिन निशाना बहुत साफ था — संघ, बीजेपी और सीधे-सीधे प्रधानमंत्री मोदी की ओर।
बीजेपी की 75 प्लस पॉलिसी: नियम या राजनीति?
2014 के बाद से भाजपा में 75 की उम्र पार करते ही नेताओं को ‘मार्गदर्शक मंडल’ में भेजने की प्रथा शुरू हुई।
-
लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को 2019 में टिकट नहीं मिला।
-
आनंदीबेन पटेल और नजमा हेपतुल्ला ने 2016 में पद छोड़े।

लेकिन जब बात आई पीएम मोदी और संघ प्रमुख की उम्र की, तो सवाल उठने लगे — क्या ये नियम सिर्फ दूसरों पर लागू होते हैं?
मोहन भागवत ने क्या कहा?
संघ प्रमुख ने ‘100 वर्ष की संघ यात्रा: नए क्षितिज’ कार्यक्रम में कहा:
“मैंने कभी 75 साल में रिटायरमेंट की बात नहीं की। अगर 80 की उम्र में भी शाखा चलाने को कहा जाए, तो तैयार हूं।”
उन्होंने पूर्व संघ नेता मोरोपंत पिंगले का उदाहरण देते हुए कहा कि संघ में उम्र नहीं, कर्म प्राथमिकता है।
अब भला ये बात अखिलेश यादव जैसे नेताओं के गले कैसे उतरती!
राजनीति में रिटायरमेंट वैसा ही है जैसे क्रिकेट में नेट प्रैक्टिस — कभी भी खत्म हो सकती है, लेकिन कोई मानता नहीं!
और जब खिलाड़ी ही अंपायर बन जाए, तो कौन कहेगा “आउट हो गए सर!”
राजनीति में उम्र अब सिर्फ नंबर नहीं, डिबेट का मुद्दा बन चुकी है। अखिलेश यादव का वार हो या मोहन भागवत का बचाव — बात अब सीधी नहीं, सीधा संदेश है: “राजनीति में कोई कभी रिटायर नहीं होता।”
सीएम योगी का बड़ा ऐलान: हर कमिश्नरी में खुलेगा स्पोर्ट्स कॉलेज
